What is Loan in HINDI – नमस्कार दोस्तों कैसे हे आप उम्मीद करता हूँ आप ठीक-ठाक होंगे। दोस्तों हमें किसी भी काम को करने के लिए या नया बिज़नेस सुरु करने के लिए कई बार हमें पैसों की बहुत जरूरत होता है। और पैसे न होने पर हमें लोन लेने का ख़याल आता है। इससे में यह हमें जरूर पता होना चाहिए की ये लोन है क्या और कितने तरह के लोन होते है और साथ ही इंडिया के बैंक में या फिर फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन कितने तरह के लोन प्रदान करते है। इन सभी जानकारी को जाने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
लोन क्या है (What is loan pdf)?
दोस्तों किसी भी चीज को खरीदने के लिए या किसी जरूरी काम को करने के लिए या फिर बिजनेस को बढ़ाने के लिए या किसी पर्सनल काम को करने के लिए। बैंक से या फिर किसी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से ली जाने वाली फाइनेंशियल हेल्प या पैसे को लोन या फिर कर्जा कहा जाता है। जिसके बदले में कस्टमर बैंक या फिर फाइनेंस कंपनी को ईएमआई के रूप में ब्याज के साथ लोन का पूरा अमाउंट वापस देना पड़ता हैं। इन सभी प्रक्रिया को हम लोन लेना कहते है।
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लोन कितने तरह के होते है ?
दोस्तों लोन अलग-अलग देश में अलग-अलग प्रकार के होते’है। पर ज्यादा तर लोन 8 तरह के होते है। और सभी देश के बैंक और इंडिया के बैंक या फिर सभी Finance Institute में निचे दिए गए सभी तरह के लोन प्रोवाइड करते हैं।
लोन टाइम पीरियड के हिसाब से तीन तरह के होते हैं।
- Short term loan – जिसमें पैसे लौटाने का समय 1 साल से कम का होता है।
- Medium term loan – जिसमें पैसे लौटाने का समय 1 से 3 साल के बीच का होता है।
- Long term loan – जिसमें पैसे लौटाने का समय 3 साल से ज्यादा का होता है।
1. Personal loan (निजी लोन)
पर्सनल लोन का मतलब होता है खुद के लिए लिया हुआ लोन वैसे तो लोन सब खुद के लिए ही लेते हैं लेकिन पर्सनल लोन का मतलब होता है कि अपने पर्सनल कामों के लिए लोन लेना जैसेकि:- बच्चों की स्कूल फीस भरनी हो, किसी का इलाज कराना हो, किसी को महंगी गिफ्ट देना हो, या फिर घर का सामान लेना हो। पर्सनल लोन के लिए हर बैंक की अपनी-अपनी ब्याज दर तय होती है। और यह भी जानना जरूरी है कि पर्सनल लोन की ब्याज दर दूसरे लोन के मुकाबले में ज्यादा होती है। वैसे बैंक आपको पर्सनल लोन देते समय ज्यादा डॉक्यूमेंट नहीं मांगते हैं बस आपकी सैलरी देखते हैं और लोन इशू कर देते हैं। पर्सनल लोन आपको 5 साल तक के लिए मिल सकता है।
2. Gold loan (गोल्ड लोन)
बैंक में गोल्ड रखने के बदले में नकद पैसे लेने वाला प्रोसेस को गोल्ड लोन कहते है। इसमें आपको गोल्ड बैंक के लॉकर में रखना पड़ता है फिर आपको लोन मिल जाता है। इस तरह के लोन आपको जमा किए गए गोल की क्वालिटी और प्राइस पर मिलते हैं। वैसे देखा गया है कि बैंक आपको गोल्ड की कीमत के 80% तक लोन देदेते है। गोल्ड लोन आमतौर पर लोग आपातकालीन स्थिति में जरूरतों को पूरा करने के लिए लेते है। गोल्ड लोन में लिया जाने वाला ब्याज दर पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम होता है।
3. Loan against security (सिक्योरिटी के बदले में मिलने वाला लोन)
इसमें बैंक आपकी सिक्योरिटी पेपर को रखकर के लोन देता है। मगर सवाल ये उठता है कि ये सिक्योरिटी पेपर क्या होते हैं अगर अपने Diamond Share, Mutual fund, Insurance scheme में पहले से ही Invest किया हुआ है तो यही आपके Security paper होते है। जिसके बदले में बैंक आपको लोन दे देता है। इन पेपर की वैल्यू होती है।
आप अगर लोन चुकाने में असमर्थ यानि incapable हो जाते हैं तो बैंक आपके सिक्योरिटी पेपर को जपत कर लेता है और बाजार में बेच देता है। वैसे आप इन Security paper को बैंक में गिरवी भी रख सकते है जिसके बदले में बैंक आपको आपके इन पेपर के आधार पर overdraft की फैसिलिटी देता है। overdraft का मतलब होता है कि जितने पैसे आपके अकाउंट में है उससे ज्यादा पैसे निकालने की सुविधा मिलना। अगर आपके अकाउंट में जीरो बैलेंस है तब भी आप अपने अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं। इसी को ओवरड्राफ्ट कहा जाता है।
4. Property loan (प्रॉपर्टी लोन)
इसमें बैंक प्रॉपर्टी के कागजात गिरवी रखता है फिर लोन देता है। अगर आप प्रॉपर्टी लोन लेना चाहते है तो आपको बैंक में अपने किसी भी प्रॉपर्टी के कागजात को गिरवी रखना होता है जिसके बदले में बैंक आपके प्रॉपर्टी की वैल्यू के हिसाब से लोन दे देता है। आमतौर पर प्रॉपर्टी की कीमत का 40% से 60% तक लोन मिल जाता है। और ये ज्यादा से ज्यादा 15 साल तक के लिए मिल सकता है।
5. Home loan (होम लोन)
घर खरीदने के लिए जो लोन लिया जाता है वह होम लोन कहलाता है। आप सिर्फ घर बनाने के लिए ही लोन नहीं लेते हैं बल्कि आप घर बनाने की कीमत, मकान का रजिस्ट्रेशन, स्टांप, ड्यूटी, जैसे खर्चे को जोड़ करके बैंक से लोन ले सकते हैं। बैंक आपके खर्चे की कुल राशि का 75% से 85% तक लोन दे सकती है बाकि पेसो का जुगाड़ घर बनाने के लिए आपको खुद ही करना पड़ता है।
मान लीजिये की अपने एक प्लाट के लिए लोन लिया जिसकी कीमत 6 लाख है तो आप बैंक को सिर्फ 600000 का 30% यानि की 180000 रुपए देंगे और बाकि की रकम आप धीरे-धीरे चुकाते रहेंगे। होम लोन चुकाने का टाइम पीरियड 5 साल से लेकर 20 साल तक का हो सकता है। होम लोन की शर्तों में ब्याज के अलावा कुछ फ़ीस भी शामिल होते है। जैसे:- Processing fees, Administrative charges, legal fees, assessment fees, अदि।
6. Education Loan (एजुकेशन लोन)
हर छात्र के नसीब में मेरिट आना नहीं होता है जो मन चाहे इंस्टुट में पढ़ाई कर पाए। अगर कोई oxford university में पढ़ाई करना चाहता है तो उसे पैसे की दिक्कत आ सकती है। वहां की फीस इतनी है कि वहां जाकर पढ़ाई करने के बारे में सोचना भी काफी मुश्किल काम है ऐसी सिचुएशन में छात्र बैंक से एजुकेशन लोन लेने के लिए अप्लाई कर सकता है।
बैंक एजुकेशन लोन देने से पहले उसकी Repayment sure करता है। देखा गया है कि लोन सिर्फ उन्ही छात्रों को दिया जाता है जो इसे वापस करने की क्षमता रखते है। छात्रों की क्षमता की जाँच बैंक दो तरह से करते है। पहला – उसके माता-पिता की इनकम को देखा जाता है दूसरा – loan लेने वाले छात्र किस यूनिवर्सिटी में जा रहे हैं वहां से पढ़कर वह काम कर पायेगा या नहीं करपायेगा।
वहां का campus selection का ratio कितना है यह सब देखकर के ही बैंक लोन को अप्रूव करती है। पढ़ाई खत्म होने के बाद स्टूडेंट Repayment कर सकता है। एजुकेशन लोन लेने के लिए एक ग्रांटर की भी जरूरत पड़ती है। गारंटी लोन लेने वाले के माता-पिता या फिर रिस्तेदार भी हो सकते है।
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7. Car Loan (वाहन लोन )
बैंक अक्सर कार खरीदने के लिए लोन के तौर पर तरह-तरह की स्कीम देते रहते हैं। यह लोन बाकी दूसरे लोन की तरह ही अलग-अलग समय के लिए fixed या फिर floating rate पर दिए जाते हैं। fixed rate का मतलब होता है fixed interest rate जब आप लोन ले रहे होते हैं तो उस समय जो ब्याज दर लागू होती है वही ब्याज दर पूरे लोन को चुकाने तक लागू रहता है।
floating rate वो interest rate होता है जो समय आने पर बदल भी सकता है कम या ज्यादा भी हो सकता है। और इसी के अनुसार आपके लोन का interest rate भी कम या ज्यादा होता रहता है। बैंक आपको लोन देने से पहले ही पूछ लेती है कि आप fixed rate पर लोन लेना चाहते हैं या floating rate पर लोन लेना चाहते हैं।
कार लोन में जब तक लोन का पूरा पेमेंट नहीं हो जाता है तब तक कार पर मालिकाना अधिकार लोन देने वाले बैंक का ही होता है। कार लोन लेने के लिए आपको बैंक में अपनी salary slip और पिछले 2 या 3 साल का income tax return slip जमा करना पड़ सकता है। इसके अलावा कोई ID proof और Address proof भी आपको जमा करना होता है। नई कारों के लिए इंटरेस्ट रेट और पुराने करों का interest rate अलग-अलग होते हैं।
8. Corporate loan (कॉरपोरेट लोन)
बैंक जब बड़े खिलाड़ियों जैसे :- narendra modi, vijay mallya, ambani, tata birla, जैसे को लोन मुहैया कराता है तो उसे कॉरपोरेट लोन कहते है। अभी के नियमों के अनुसार बैंक अपनी core capital का 25% तक किसी एक बड़े कंपनी को लोन दे सकते हैं।
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि ये पोस्ट आपको पसंद आया होगा। और ये लोन क्या है और लोन कितने प्रकार के होते। इन सब के बारे में सारी जानकारी मिल गया होगा। अगर ये पोस्टआपके थोड़ा सा भी काम आया है तो अपने दोस्तों और फैमली को शेयर जरूर करे। धन्यवाद !
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